इश्क़ गोरे हुस्न का आशिक़ के दिल को दे जला
साँवलों के आशिक़ों का दिल है काला कोएला
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ख़ुदा शाहिद बुतो दो-जग से ये सौदा है निर्वाला
ख़ुदा ही पहुँचे फ़रियादों को हम से बे-नसीबों के
जपे है विर्द सा तुझ से सनम के नाम को शैख़
अरे उल्टे ज़माने मुझ पे क्या सीधा सितम लाया
बाद-ए-बहार में सब आतिश जुनून की है
ग़नीमत बूझ लेवें मेरे दर्द-आलूद नालों को
ऐ नासेह चश्म-ए-तर से मत कर आँसू पाक रहने दे
नयन में ख़ूँ भर आया दिल में ख़ार-ए-ग़म छुपा शायद
मौसम-ए-गुल में हैं दीवानों के बाज़ार कई
कहा जो मैं ने गया ख़त से हाए तेरा हुस्न
मुझ क़ब्र से यार क्यूँके जावे
दिलों में रहिए जहाँ के वले ख़ुदा के ढब