दर्पण Poetry (page 25)

मैं देख भी न सका मेरे गिर्द क्या गया था

अनवर मसूद

इशारतों की वो शर्हें वो तज्ज़िया भी गया

अनवर मसूद

चाहो तो मिरी आँखों को आईना बना लो

अनवर जलालपुरी

शादाब-ओ-शगुफ़्ता कोई गुलशन न मिलेगा

अनवर जलालपुरी

मैं हर बे-जान हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ को गोया बनाता हूँ

अनवर जलालपुरी

अश्क बेताब व निगह बे-बाक व चश्म-ए-तर ख़राब

अनवर देहलवी

मुझ से ख़ाली है मेरा आईना

अंजुम सलीमी

उम्र की सारी थकन लाद के घर जाता हूँ

अंजुम सलीमी

जस्त भरता हुआ फ़र्दा के दहाने की तरफ़

अंजुम सलीमी

चला हवस के जहानों की सैर करता हुआ

अंजुम सलीमी

तेशा-ब-कफ़ को आइना-गर कह दिया गया

अंजुम इरफ़ानी

उस बुत को ज़रा छू के तो देखें कि वो क्या है

अनजुम अब्बासी

म'अरका जब छिड़ गया तो क्या हुआ हम से सुनो

अनीस अशफ़ाक़

तू ने फेरी लाख नर्मी से नज़र

आनंद नारायण मुल्ला

बुज़दिल

अमजद इस्लाम अमजद

दाम-ए-ख़ुशबू में गिरफ़्तार सबा है कब से

अमजद इस्लाम अमजद

जगमगा उट्ठा है रंग मंच

अमित गुप्ता

एहसास

अमित गुप्ता

न तो ख़ौफ़ रोज़-ए-जज़ा का हो वही इश्क़ है

अमीता परसुराम 'मीता'

मेरी पहचान है क्या मेरा पता दे मुझ को

अमीर क़ज़लबाश

दुआ की शाख़ पर

अमीक़ हनफ़ी

आईना-ख़ाने के क़ैदी से

अमीक़ हनफ़ी

बैठा है सोगवार सितमगर के शहर में

अमर सिंह फ़िगार

दिखलाए ख़ुदा उस सितम-ईजाद की सूरत

अमानत लखनवी

वालिदा मरहूमा की याद में

अल्लामा इक़बाल

तस्वीर-ए-दर्द

अल्लामा इक़बाल

सर-गुज़िश्त-ए-आदम

अल्लामा इक़बाल

साक़ी-नामा

अल्लामा इक़बाल

हिमाला

अल्लामा इक़बाल

गोरिस्तान-ए-शाही

अल्लामा इक़बाल

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