आंखें Poetry (page 23)

फिर भीग चलीं आँखें चलने लगी पुर्वाई

राम कृष्ण मुज़्तर

वक़्त-ए-रुख़्सत वो आँसू बहाने लगे

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

सफ़र का रुख़ बदल कर देखता हूँ

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

कहा गया न कभी और कभी सुना न गया

रख़शां हाशमी

दिल की धड़कन उलझ रही है ये कैसी सौग़ात ग़ज़ल की

रख़शां हाशमी

इधर की आवाज़ इस तरफ़ है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या

राजेन्द्र मनचंदा बानी

लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है

राजेश रेड्डी

दुख से ग़ैरों के पिघलता कौन है

राजेन्द्र कलकल

अदीब की महबूबा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

आख़िरी गाली

राजा मेहदी अली ख़ाँ

जैसे फ़साना ख़त्म हुआ

राज नारायण राज़

शहर का शहर बसा है मुझ में

रईस फ़रोग़

गलियों में आज़ार बहुत हैं घर में जी घबराता है

रईस फ़रोग़

रक़्साँ है मुंडेर पर कबूतर

रईस अमरोहवी

रक़्साँ है मुंडेर पर कबूतर

रईस अमरोहवी

लहू आँखों में रौशन है ये मंज़र देखना अब के

राही कुरैशी

एक मंज़र

राही मासूम रज़ा

तुम अपने हुस्न पे ग़ज़लें पढ़ा करो बैठे

राहील फ़ारूक़

तेरे कूचे में जा के भूल गए

राहील फ़ारूक़

ख़ंदगी ख़ुश लब तबस्सुम मिस्ल-ए-अरमाँ हो गए

इरफ़ान अहमद मीर

ज़बानों पर नहीं अब तूर का फ़साना बरसों से

इक़बाल सुहैल

असीरों में भी हो जाएँ जो कुछ आशुफ़्ता-सर पैदा

इक़बाल सुहैल

जैसे हर चेहरे की आँखें सर के पीछे आ लगीं

इक़बाल साजिद

संग-दिल हूँ इस क़दर आँखें भिगो सकता नहीं

इक़बाल साजिद

मूँद कर आँखें तलाश-ए-बहर-ओ-बर करने लगे

इक़बाल साजिद

चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

कितने भूले हुए नग़्मात सुनाने आए

इक़बाल अशहर

बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का

इक़बाल अशहर

छोटी ही सही बात की तासीर तो देखो

इक़बाल अंजुम

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