आंखें Poetry (page 46)

हच-हाईकर

अहमद फ़राज़

बन-बास

अहमद फ़राज़

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

अहमद फ़राज़

रात के पिछले पहर रोने के आदी रोए

अहमद फ़राज़

जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो

अहमद फ़राज़

जब यार ने रख़्त-ए-सफ़र बाँधा कब ज़ब्त का पारा उस दिन था

अहमद फ़राज़

चले थे यार बड़े ज़ोम में हवा की तरह

अहमद फ़राज़

मैं क्या हूँ मुझे तुम ने जो आज़ार पे खींचा

अहमद फ़क़ीह

तुम कहाँ हो

अहमद आज़ाद

नज़्म

अहमद आज़ाद

चूहा

अहमद आज़ाद

हमारी आँखें भी साहिब अजीब कितनी हैं

अहमद अता

वो मिरी जुराअत-ए-कमयाब से ना-वाक़िफ़ हैं

अहमद अशफ़ाक़

लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए

आग़ा हज्जू शरफ़

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

आग़ा हज्जू शरफ़

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

आग़ा हज्जू शरफ़

हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़

आग़ा हज्जू शरफ़

दिल को लटका लिया है गेसू में

आग़ा हज्जू शरफ़

आँचल में नज़र आती हैं कुछ और सी आँखें

अफ़ज़ाल नवेद

ये हक़ीक़त है वो कमज़ोर हुआ करती हैं

अफ़ज़ल इलाहाबादी

तेरे जल्वों को रू-ब-रू कर के

अफ़ज़ल इलाहाबादी

जंगल के पास एक औरत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

वापसी

आफ़ताब शम्सी

नर्स

आफ़ताब शम्सी

पंजों के बल खड़े हुए शब की चटान पर

आफ़ताब इक़बाल शमीम

इक फ़ना के घाट उतरा एक पागल हो गया

आफ़ताब इक़बाल शमीम

दिखाई जाएगी शहर-ए-शब में सहर की तमसील चल के देखें

आफ़ताब इक़बाल शमीम

खुली आँखों में दर आने से पहले

आफ़ताब अहमद

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