आसमाँ Poetry (page 4)

ज़मीं रोई हमारे हाल पर और आसमाँ रोया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

यहाँ हर आने वाला बन के इबरत का निशाँ आया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ज़मीं रोई हमारे हाल पर और आसमाँ रोया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

यहाँ हर आने वाला बन के इबरत का निशाँ आया

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

लूटा है मुझे उस की हर अदा ने

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

मिज़्गाँ पे आज यास के मोती बिखर गए

वहीदा नसीम

इबहाम दीदा

वहाब दानिश

ज़मीं से आसमाँ तक आसमाँ से ला-मकाँ तक है

वहशी कानपुरी

अक्सर मिरी ज़मीं ने मिरे इम्तिहाँ लिए

उषा भदोरिया

किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

निगाहें नीची रखते हैं बुलंदी के निशाँ वाले

तुर्फ़ा क़ुरैशी

भाड़े का इक मकाँ हूँ मुझ को ख़बर नहीं है

त्रिपुरारि

दिन में सूरज है मिरी महरूमियों का तर्जुमाँ

तिश्ना बरेलवी

चमन में बर्क़ कभी आशियाँ से दूर नहीं

तिश्ना बरेलवी

ख़ाक-ए-हिंद

तिलोकचंद महरूम

परी उड़ जाएगी और राजधानी ख़त्म होगी

तौक़ीर तक़ी

मिरी सच्चाई हर सूरत तिरी मुट्ठी से निकलेगी

ताैफ़ीक़ साग़र

किसी ने पूछा जो उम्र-ए-रवाँ के बारे में

तसनीम आबिदी

जैसे कश्ती और उस पर बादबाँ फैले हुए

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

जैसे कश्ती और इस पर बादबाँ फैले हुए

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

सुकूत-ए-शब में

तारिक़ क़मर

सिसकती मज़लूमियत के नाम

तारिक़ क़मर

मैं हबीब हूँ किसी और का मिरी जान-ए-जाँ कोई और है

तारिक़ मतीन

उस के बदन का लम्स अभी उँगलियों में है

तारिक़ जामी

लम्हा-ए-इमकान को पहलू बदलते देखना

तनवीर अंजुम

बस्तियाँ तो आसमाँ ले जाएँगे

तनवीर अंजुम

दर्द-ए-दिल को दास्ताँ-दर-दास्ताँ होने तो दो

तल्हा रिज़वी बारक़

मिरे ख़याल का साया जहाँ पड़ा होगा

तख़्त सिंह

यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है

ताबिश कमाल

यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है

ताबिश कमाल

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