आइना Poetry (page 14)

गुज़रते दिन के दुखों का पता तो देता था

अरमान नज्मी

बना रहा हूँ अभी घर को आइना-ख़ाना

आरिफ़ इमाम

शायरी मुझ को अजब हाल में ले जाती है

आरिफ़ इमाम

फ़सील-ए-ज़ात से बाहर भी देखना है मुझे

आरिफ़ इमाम

या ख़ुदा कुछ तो दर्द कम कर दे

आराधना प्रसाद

मुश्ताक़ ब-दस्तूर ज़माना है तुम्हारा

अनवर शऊर

और न दर-ब-दर फिरा और न आज़मा मुझे

अनवर शऊर

ख़्वाब बिखरेंगे तो हम को भी बिखरना होगा

अनवर मीनाई

बड़े सुकून से ख़ुद अपने हम-सरों में रहे

अनवर मीनाई

दर्द-ए-दिल की दवा है माह-ए-नौ

अनवर जमाल अनवर

किस सोच में हैं आइने को आप देख कर

अनवर देहलवी

बा-वफ़ा हूँ मिरी ख़ता है ये

अंजुम सिद्दीक़ी

रक़्स-ए-जुनूँ की गर्मी-ए-तासीर देखना

अंजुम इरफ़ानी

धूप छाँव ज़ेहनों का आसरा नहीं रखते

अंजुम अज़ीमाबादी

वो रूठता है कभी दिल दुखा भी देता है

अंजना संधीर

म'अरका जब छिड़ गया तो क्या हुआ हम से सुनो

अनीस अशफ़ाक़

मिरी बात का जो यक़ीं नहीं मुझे आज़मा के भी देख ले

आनंद नारायण मुल्ला

ख़्वाब जो बिखर गए

आमिर उस्मानी

जबीं को चैन कहाँ ज़ेर-ए-लब दुआ है बस

आमिर नज़र

न पूछ मंज़र-ए-शाम-ओ-सहर पे क्या गुज़री

अमीर क़ज़लबाश

कहीं सलीब कहीं कर्बला नज़र आए

अमीर क़ज़लबाश

अपने हमराह ख़ुद चला करना

अमीर क़ज़लबाश

हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं

अमीर मीनाई

हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं

अमीर मीनाई

मैं आइना था छुपाता किसी को क्या राहत

अमीन राहत चुग़ताई

मिरे बदन से कभी आँच इस तरह आए

अमीन राहत चुग़ताई

किसी मकाँ के दरीचे को वा तो होना था

अमीन राहत चुग़ताई

तिरी निगाह बनी आइना मिरी ख़ातिर

अम्बर वसीम इलाहाबादी

कोई एहसास मुकम्मल नहीं रहने देता

अम्बरीन सलाहुद्दीन

ख़ुशी का लम्हा रेत था सो हाथ से निकल गया

अंबरीन हसीब अंबर

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