आइना Poetry (page 12)

ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है

बेबाक भोजपुरी

ऐ जुनूँ हाथ के चलते ही मचल जाऊँगा

बयान मेरठी

घर से निकले अगर हम बहक जाएँगे

बशीर बद्र

अगर यक़ीं नहीं आता तो आज़माए मुझे

बशीर बद्र

जुदा भी हो के वो इक पल कभी जुदा न हुआ

बशीर अहमद बशीर

मुझे जीना नहीं आता

बशर नवाज़

करोगे याद तो हर बात याद आएगी

बशर नवाज़

कहता है हर मकीं से मकाँ बोलते रहो

बाक़ी सिद्दीक़ी

इस कार-ए-गह-ए-रंग में हम तंग नहीं क्या

बाक़ी सिद्दीक़ी

हम कहाँ आइना ले कर आए

बाक़ी सिद्दीक़ी

दोस्त नाराज़ हो गए कितने

बाक़ी अहमदपुरी

तेरी तरह मलाल मुझे भी नहीं रहा

बाक़ी अहमदपुरी

जो जहाँ के आइना हैं दिल उन्हों के सादा हैं

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

ग़ैरत-ए-गुल है तू और चाक-गरेबाँ हम हैं

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

नहीं है अश्क से ये ख़ून-ए-नाब आँखों में

बाक़र आगाह वेलोरी

क्या कहें क्या हुस्न का आलम रहा

बक़ा बलूच

कहीं भी ज़िंदगी अपनी गुज़ार सकता था

लराज बख़्शी

यकायक अक्स धुँदलाने लगे हैं

बकुल देव

महसूस हो रहा है जो ग़म मेरी ज़ात का

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

गुज़रने वाली हवा को बता दिया गया है

अज़ीज़ नबील

ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं

अज़ीज़ लखनवी

सामने आइना था मस्ती थी

अज़ीज़ लखनवी

लिखी हुई जो तबाही है उस से क्या जाता

अज़ीज़ हामिद मदनी

आज मुक़ाबला है सख़्त मीर-ए-सिपाह के लिए

अज़ीज़ हामिद मदनी

थकन से चूर हूँ लेकिन रवाँ-दवाँ हूँ मैं

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

जल्वे हवा के दोश ये कोई घटा के देख

अज़हर लखनवी

इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा

अज़हर इनायती

चलते चलते साल कितने हो गए

अज़हर इनायती

उस लब की ख़ामुशी के सबब टूटता हूँ मैं

अज़हर फ़राग़

ज़रा सी देर तुझे आइना दिखाया है

अज़हर अदीब

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