थकन से चूर हूँ लेकिन रवाँ-दवाँ हूँ मैं
थकन से चूर हूँ लेकिन रवाँ-दवाँ हूँ मैं
नई सहर के चराग़ों का कारवाँ हूँ मैं
हवाएँ मेरे वरक़ लौट लौट देती हैं
न जाने कितने ज़मानों की दास्ताँ हूँ मैं
हर एक शहर-ए-निगाराँ समझ रहा है मुझे
ज़रा क़रीब से देखो धुआँ धुआँ हूँ मैं
किसी से भीड़ में चेहरा बदल गया है मिरा
तो सारे आइना-ख़ानों से बद-गुमाँ हूँ मैं
मैं अपनी गूँज में खोई हूँ एक मुद्दत से
मुझे ख़बर नहीं कुछ कौन हूँ कहाँ हूँ मैं
ख़ुद अपनी दीद से महरूम है नज़र मेरी
अज़ल से सूरत-ए-नज़्ज़ारा दरमियाँ हूँ मैं
मिरा वजूद-ओ-अदम राज़ है हमेशा से
वहाँ वहाँ भी नहीं हूँ जहाँ जहाँ हूँ मैं
(1385) Peoples Rate This