आकाश Poetry (page 2)

अभी मस्जिद-नशीन-ए-तारुम-ए-अफ़्लाक हो जावे

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

जिस ने आदम के तईं जाँ बख़्शा

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

देर हो जाएगी फिर किस को सुनाई दोगे

शहज़ाद क़मर

ज़मीन नाव मिरी बादबाँ मिरे अफ़्लाक

शहज़ाद अहमद

जो दिल में खटकती है कभी कह भी सकोगे

शहज़ाद अहमद

महका है गुल-ए-ख़ून-ए-वफ़ा जानिए क्या हो

शाहिद अख़्तर

मुश्किल तो न था ऐसा भी अफ़्लाक से रिश्ता

शहबाज़ ख़्वाजा

सर-बुलंदी को यहाँ दिल ने न चाहा मुनइम

शाह नसीर

बे-सबब हाथ कटारी को लगाना क्या था

शाह नसीर

हवा को और भी कुछ तेज़ कर गए हैं लोग

शायर लखनवी

ईमा-ए-ग़ज़ल करती हैं मौसम की अदाएँ

शानुल हक़ हक़्क़ी

अंजाम हर इक शय का ब-जुज़ ख़ाक नहीं है

सीमाब अकबराबादी

किस के हैं ज़ेर-ए-ज़मीं दीदा-ए-नम-नाक हनूज़

मोहम्मद रफ़ी सौदा

क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना

सरवत हुसैन

क़िन्दील-ए-मह-ओ-मेहर का अफ़्लाक पे होना

सरवत हुसैन

ख़ाक-बस्ता हैं तह-ए-ख़ाक से बाहर न हुए

सलीम शुजाअ अंसारी

एक हंगामा बपा है अर्सा-ए-अफ़्लाक पर

सालिम सलीम

बदन क़ुबूल है उर्यानियत का मारा हुआ

सलीम सिद्दीक़ी

वुसअत है वही तंगी-अफ़्लाक वही है

सलीम कौसर

तारे जो कभी अश्क-फ़िशानी से निकलते

सलीम कौसर

आरज़ूएँ सब ख़ाक हुईं

साजिद हमीद

ख़ाली हाथों में मोहब्बत बाँटती रह जाऊँगी

साइमा असमा

सदा-ए-जावेदाँ

साहिर होशियारपुरी

हैं सात ज़मीं के तबक़ और सात हैं अफ़्लाक

साहिर देहल्वी

किसी इंसान को अपना नहीं रहने देते

सग़ीर मलाल

चाक-ए-दामन को जो देखा तो मिला ईद का चाँद

साग़र सिद्दीक़ी

आहन की सुर्ख़ ताल पे हम रक़्स कर गए

साग़र सिद्दीक़ी

पस्ती ने बुलंदी को बनाया है हक़ीक़त

सबा अकबराबादी

गाए

रियाज़ लतीफ़

गुल मुरक़्क़ा' हैं तिरे चाक गरेबानों के

रियाज़ ख़ैराबादी

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