इनायत Poetry (page 2)
बिन माँगे मिल रहा हो तो ख़्वाहिश फ़ुज़ूल है
शाहिद ज़की
देख क्या तेरी जुदाई में है हालत मेरी
शबाब
एक नाज़ुक दिल के अंदर हश्र बरपा कर दिया
सरस्वती सरन कैफ़
हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए
सलीम रज़ा रीवा
मुझ को दुश्वार हुआ जिस का नज़ारा तन्हा
सलीम अहमद
वो तेरी इनायत की सज़ा याद है अब तक
सज्जाद बाक़र रिज़वी
अब वो जो नहीं उन की तमन्ना भी बहुत है
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ये सराबों की शरारत भी न हो तो क्या हो
सज्जाद बलूच
हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई
साजिद सिद्दीक़ी लखनवी
तू ने पूछा है मिरे दोस्त!
साइमा असमा
मैं पल दो पल का शाइ'र हूँ
साहिर लुधियानवी
मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी
साहिर लुधियानवी
बस फ़र्क़ इस क़दर है गुनाह ओ सवाब में
साहिर होशियारपुरी
हौसला वज्ह-ए-तपिश-हा-ए-दिल-ओ-जाँ न हुआ
साहिर देहल्वी
ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं
साग़र सिद्दीक़ी
मग़्ज़-ए-शाएर
साग़र ख़य्यामी
जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
साग़र ख़य्यामी
फ़सील-ए-ज़ात में दर तो तिरी इनायत है
सईद नक़वी
कसरत-ए-जल्वा को आईना-ए-वहदत समझो
सबा अकबराबादी
मेरे लिए वो शख़्स मुसीबत भी बहुत है
रूही कंजाही
मुँह न ढाँको अब तो सूरत देख ली
रिन्द लखनवी
क्या से क्या हो गई इस दौर में हालत घर की
रहबर जौनपूरी
मसरूफ़ियत उसी की है फ़ुर्सत उसी की है
रेहाना रूही
कुछ लोग समझने ही को तयार नहीं थे
राज़ी अख्तर शौक़
लाज़िम है बुलंद आह की रायत न करे तू
रज़ा अज़ीमाबादी
कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है
रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी
किस की आँखों की हिदायत से मुझे देखता है
राशिद तराज़
मरते नहीं अब इश्क़ में यूँ तो आतिश-ए-फ़ुर्क़त अब भी वही है
राशिद आज़र
लिबास उस का अलामत की तरह था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
उन को ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
राजेन्द्र कृष्ण
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