असर Poetry (page 25)

सब्ज़ा-ए-बेगाना

अख़्तर-उल-ईमान

मस्जिद

अख़्तर-उल-ईमान

फिर वही शब के सराबों का चलन!

अख़्तर ज़ियाई

किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं

अख़्तर शीरानी

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें

अख़्तर शीरानी

इक नूर था कि पिछले पहर हम-सफ़र हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

ख़ुद-फ़रामोश जो पाया है मुझे दुनिया ने

अख़तर बस्तवी

यूँ बदलती है कहीं बर्क़-ओ-शरर की सूरत

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

शराब आए तो कैफ़-ओ-असर की बात करो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

हर लम्हा अता करता है पैमाना सा इक शख़्स

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

फ़सुर्दा हो के मयख़ाने से निकले

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

तवील-तर है सफ़र मुख़्तसर नहीं होता

अख़्तर अमान

इधर चराग़ जल गए उधर चराग़ जल गए

अख़लाक़ बन्दवी

ये ग़ाज़ा है काजल है उबटन है क्या है

अख़लाक़ अहमद आहन

शरार-ए-संग जो इस शोर-ओ-शर से निकलेगा

अकबर हमीदी

मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ

अकबर इलाहाबादी

जल्वा न हो मअ'नी का तो सूरत का असर क्या

अकबर इलाहाबादी

ग़म-ख़ाना-ए-जहाँ में वक़अत ही क्या हमारी

अकबर इलाहाबादी

बर्क़-ए-कलीसा

अकबर इलाहाबादी

नई तहज़ीब से साक़ी ने ऐसी गर्म-जोशी की

अकबर इलाहाबादी

मेहरबानी है अयादत को जो आते हैं मगर

अकबर इलाहाबादी

ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता

अकबर इलाहाबादी

फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं

अकबर इलाहाबादी

दिल हो ख़राब दीन पे जो कुछ असर पड़े

अकबर इलाहाबादी

दर्द तो मौजूद है दिल में दवा हो या न हो

अकबर इलाहाबादी

ज़मीं पर आसमाँ कब तक रहेगा

अजमल सिराज

इश्क़ जन्मों का है सफ़र शायद

अजीत सिंह हसरत

धुआँ सिफ़त हूँ ख़लाओं का है सफ़र मुझ को

अजीत सिंह हसरत

फिरा किसी का इलाही किसी से यार न हो

ऐश देहलवी

न छोड़ी ग़म ने मिरे इक जिगर में ख़ून की बूँद

ऐश देहलवी

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