जल्वा न हो मअ'नी का तो सूरत का असर क्या
बुलबुल गुल-ए-तस्वीर का शैदा नहीं होता
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1168) Peoples Rate This
मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ
कुछ नहीं कार-ए-फ़लक हादसा-पाशी के सिवा
बुत-कदे में शोर है 'अकबर' मुसलमाँ हो गया
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
लगावट की अदा से उन का कहना पान हाज़िर है
तय्यार थे नमाज़ पे हम सुन के ज़िक्र-ए-हूर
मअ'नी को भुला देती है सूरत है तो ये है
रंग-ए-शराब से मिरी निय्यत बदल गई
वज़्न अब उन का मुअ'य्यन नहीं हो सकता कुछ
बे-पर्दा नज़र आईं जो कल चंद बीबियाँ
दिल-ए-मायूस में वो शोरिशें बरपा नहीं होतीं