असर Poetry (page 6)

तंग थी जा ख़ातिर-ए-नाशाद में

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

शब वस्ल की भी चैन से क्यूँकर बसर करें

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

मैं वस्ल में भी 'शेफ़्ता' हसरत-तलब रहा

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

असर-ए-आह-ए-दिल-ए-ज़ार की अफ़्वाहें हैं

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर

शीन काफ़ निज़ाम

पाँव में दूर का सफ़र चमके

शीन काफ़ निज़ाम

मेरे अल्फ़ाज़ में असर रख दे

शीन काफ़ निज़ाम

आँखों में रात ख़्वाब का ख़ंजर उतर गया

शीन काफ़ निज़ाम

सोज़-ए-दुआ से साज़-ए-असर कौन ले गया

शाज़ तमकनत

ज़माना याद रक्खेगा तुम्हें ये काम कर जाना

शायान क़ुरैशी

हाथ उठाता हूँ मैं अब दुआ के लिए

शौक़ सालकी

वो ले के दिल को ये सोची कहीं जिगर भी है

शौक़ क़िदवाई

कुछ तो देखें असर चराग़ चले

शौक़ माहरी

महव-ए-नग़्मा मिरा क़ातिल जो रहा करता है

शौक़ बहराइची

ख़िलाफ़-ए-हंगामा-ए-तशद्दुद क़दम जो हम ने बढ़ा दिए हैं

शौक़ बहराइची

औरत

शौकत परदेसी

शिद्दत-ए-दर्द-ए-जिगर हो ये ज़रूरी तो नहीं

शातिर हकीमी

जन्नत से दूर

शारिक़ कैफ़ी

शहर में इक क़त्ल की अफ़्वाह रौशन क्या हुई

शरीक़ अदील

शहर में कैसा ख़तर लगता है

शरीफ़ अहमद शरीफ़

चेहरे का आफ़्ताब दिखाई न दे तो फिर

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

ग़म दिए हैं तो मसर्रत के गुहर भी देना

शम्स रम्ज़ी

हुस्न की बिजलियाँ अल-अमाँ अल-अमाँ

शम्स इटावी

ख़मोश किस लिए बैठे हो चश्म-ए-तर क्यूँ हो

शमीम करहानी

आँखें ग़म-ए-फ़िराक़ से हैं तर इधर-उधर

शमीम फ़तेहपुरी

क्या असर था जज़्बा-ए-ख़ामोश में

शकील बदायुनी

रक़्क़ासा-ए-हयात से

शकील बदायुनी

सर भी है पा-ए-यार भी शौक़-ए-सिवा को क्या हुआ

शकील बदायुनी

क़स्र वीरान हुआ जाता है

शकील बदायुनी

ग़म से कहाँ ऐ इश्क़ मफ़र है

शकील बदायुनी

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