अश्क Poetry (page 16)

ज़िन्हार हिम्मत अपने से हरगिज़ न हारिए

इंशा अल्लाह ख़ान

याँ ज़ख़्मी-ए-निगाह के जीने पे हर्फ़ है

इंशा अल्लाह ख़ान

क्या मिला हम को तेरी यारी में

इंशा अल्लाह ख़ान

क्या भला शैख़-जी थे दैर में थोड़े पत्थर

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे साँसों की है थोड़ पिया

इंजील सहीफ़ा

दिल से अपने ख़ुद-ब-ख़ुद कुछ पूछिए मेरे लिए

इन्दिरा वर्मा

तिरी फ़ुज़ूल बंदगी बना न दे ख़ुदा मुझे

इम्तियाज़ अहमद

रात चराग़ की महफ़िल में शामिल एक ज़माना था

इमदाद निज़ामी

मेरे सर में जो रात चक्कर था

इम्दाद इमाम असर

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

बहे साथ अश्क के लख़्त-ए-जिगर तक

इम्दाद इमाम असर

क़द्र-दाँ कोई न असफ़ल है न आ'ला अपना

इमदाद अली बहर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल

इमदाद अली बहर

हैं अश्क मिरी आँखों में क़ुल्ज़ुम से ज़्यादा

इमाम बख़्श नासिख़

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

शाही बदला

इलियास बाबर आवान

स्कैप-इज़्म

इलियास बाबर आवान

रौशनी की डोर थामे ज़िंदगी तक आ गए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

रात भर दर्द की बरसात में धोई हुई सुब्ह

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

दिल वही अश्क-बार रहता है

इब्न-ए-मुफ़्ती

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा

इब्न-ए-इंशा

अर्श के तारे तोड़ के लाएँ काविश लोग हज़ार करें

इब्न-ए-इंशा

मैं उस की आँख में वो मेरे दिल की सैर में था

हुसैन ताज रिज़वी

हवा के साथ ये कैसा मोआमला हुआ है

हुमैरा राहत

हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है

हुमैरा राहत

यादें चलें ख़याल चला अश्क-ए-तर चले

होश तिर्मिज़ी

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

हीरा लाल फ़लक देहलवी

शौक़ कहता है कि चलिए कू-ए-जानाँ की तरफ़

हया लखनवी

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