अश्क Poetry (page 30)

सितम सा कोई सितम है तिरा पनाह तिरी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ख़फ़ा मत हो मुझ को ठिकाने बहुत हैं

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म याँ तो बिका हुआ खड़ा है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

गली से तिरी जो कि ऐ जान निकला

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

छलक जाती है अश्क-ए-गर्म बन कर मेरी आँखों से

अब्दुल रहमान बज़्मी

अबस ढूँडा किए हम ना-ख़ुदाओं को सफ़ीनों में

अब्दुल रहमान बज़्मी

पुर्सिश है चश्म-ए-अश्क-फ़शाँ पर न आए हर्फ़

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मरहला शौक़ का है लफ़्ज़-ओ-बयाँ से आगे

अब्दुल मन्नान तरज़ी

ख़ून जब अश्क में ढलता है ग़ज़ल होती है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

ग़म के हाथों मिरे दिल पर जो समाँ गुज़रा है

अब्दुल मजीद सालिक

ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई

अब्दुल मजीद हैरत

ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई

अब्दुल मजीद हैरत

मय-ख़ाना-ए-हस्ती में अक्सर हम अपना ठिकाना भूल गए

अब्दुल हमीद अदम

गुज़र गया वो ज़माना वो ज़ख़्म भर भी गए

अब्बास रिज़वी

ग़म को सबात है न ख़ुशी को क़रार है

आसी रामनगरी

ज़ख़्म-ए-दिल हम दिखा नहीं सकते

आसी ग़ाज़ीपुरी

सारे आलम में तेरी ख़ुशबू है

आसी ग़ाज़ीपुरी

अरक़ जब उस परी के चेहरा-ए-पुर-नूर से टपके

आरिफ़ुद्दीन आजिज़

दिल-दादगान-ए-लज़्ज़त-ए-ईजाद क्या करें

आल-ए-अहमद सूरूर

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

आग़ा अकबराबादी

मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब

आग़ा अकबराबादी

दीवाली

आफ़ताब राईस पानीपती

भगवान कृष्ण के चरनों में श्रधा के फूल चढ़ाने को

आफ़ताब राईस पानीपती

जो अश्क बन के हमारी पलक पे बैठा था

आदिल रज़ा मंसूरी

एक इक लम्हे को पलकों पे सजाता हुआ घर

आदिल रज़ा मंसूरी

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