अश्क Poetry (page 24)

ये अश्क चश्मों में हमदम रहे रहे न रहे

आसिफ़ुद्दौला

सीने में दाग़ है तपिश-ए-इंतिज़ार का

आसिफ़ुद्दौला

पूछते क्या हो मिरे तुम दिल-ए-दीवाने से

आसिफ़ुद्दौला

मर गया ग़म में तिरे हाए में रोता रोता

आसिफ़ुद्दौला

ख़ून आँखों से निकलता ही रहा

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

देखिए ख़ाक में मजनूँ की असर है कि नहीं

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

क़ैद-ए-हस्ती में हूँ अपने फ़र्ज़ की तामील तक

अश्क अमृतसरी

अगर ख़ुशी में तुझे गुनगुनाते लगते हैं

अशफ़ाक़ नासिर

सामने उन के तड़प कर इस तरह फ़रियाद की

असग़र गोंडवी

है दिल-ए-नाकाम-ए-आशिक़ में तुम्हारी याद भी

असग़र गोंडवी

तस्कीन-ए-दिल को अश्क-ए-अलम क्या बहाऊँ मैं

असर लखनवी

चुपके से नाम ले के तुम्हारा कभी कभी

असर लखनवी

आप बिक जाए कोई ऐसा ख़रीदार न था

असर लखनवी

भोले बन कर हाल न पूछ बहते हैं अश्क तो बहने दो

आरज़ू लखनवी

यही इक निबाह की शक्ल है वो जफ़ा करें मैं वफ़ा करूँ

आरज़ू लखनवी

नज़र उस चश्म पे है जाम लिए बैठा हूँ

आरज़ू लखनवी

भोले बन कर हाल न पूछो बहते हैं अश्क तो बहने दो

आरज़ू लखनवी

ऐ मिरे ज़ख़्म-ए-दिल-नवाज़ ग़म को ख़ुशी बनाए जा

आरज़ू लखनवी

ये माना सैल-ए-अश्क-ए-ग़म नहीं कुछ कम मगर 'अरशद'

अरशद कमाल

कभी अंगड़ाई ले कर जब समुंदर जाग उठता है

अरशद कमाल

फिर चंद दिनों से वो हर शब ख़्वाबों में हमारे आते हैं

अरशद काकवी

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

अरशद अली ख़ान क़लक़

गुलों पर साफ़ धोका हो गया रंगीं कटोरी का

अरशद अली ख़ान क़लक़

दिल में आते ही ख़ुशी साथ ही इक ग़म आया

अरशद अली ख़ान क़लक़

आरिज़ में तुम्हारे क्या सफ़ा है

अरशद अली ख़ान क़लक़

ये आइना था मगर ग़म की रहगुज़ार में था

अर्श सहबाई

नैरंगी-ए-बहार-ओ-ख़िज़ाँ देखते रहे

अर्श मलसियानी

लुत्फ़ ही लुत्फ़ है जो कुछ है इनायत के सिवा

अर्श मलसियानी

वो कारवान-ए-बहाराँ कि बे-दरा होगा

आरिफ़ अब्दुल मतीन

बस वही अश्क मिरा हासिल-ए-गिर्या है 'अक़ील'

अक़ील अब्बास जाफ़री

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