अश्क Poetry (page 25)

ज़ीस्त करना दर-ए-इदराक से बाहर है अभी

अक़ील अब्बास जाफ़री

वक़्त जब करवटें बदलता है

अनवर साबरी

इश्क़ मुकम्मल ख़्वाब-ए-परेशाँ

अनवर साबरी

इश्क़ में ग़म के सिवा कोई ख़ुशी देखी नहीं

अनवर साबरी

हर साँस में ख़ुद अपने न होने का गुमाँ था

अनवर साबरी

मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए

अनवर मिर्ज़ापुरी

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए

अनवर मिर्ज़ापुरी

डूबे हुए तारों पे मैं क्या अश्क बहाता

अनवर मसूद

घर

अनवर मसूद

पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी

अनवर मसूद

पढ़ने भी न पाए थे कि वो मिट भी गई थी

अनवर मसूद

अब कहाँ और किसी चीज़ की जा रक्खी है

अनवर मसूद

धूप हो गए साए जल गए शजर जैसे

अनवर अंजुम

शहर-दर-शहर फ़ज़ाओं में धुआँ है अब के

अनवर महमूद खालिद

सितम सहने की तय्यारी भी कोई चीज़ होती है

अनुभव गुप्ता

दिमाग़ उन के तजस्सुस में जिस्म घर में रहा

अंजुम सिद्दीक़ी

पलकों तक आ के अश्क का सैलाब रह गया

अंजुम ख़लीक़

कहाँ तक और इस दुनिया से डरते ही चले जाना

अंजुम ख़लीक़

वो ग़ुंचा हूँ जो बिन खिले मुरझाए चमन में

अनीसा बेगम

बहाए शबनम ने अश्क पैहम नसीम भरती है सर्द आहें

अनीसा बेगम

हर एक पल मुझे दुख दर्द बे-शुमार मिले

अनीस अब्र

ख़ून-ए-जिगर के क़तरे और अश्क बन के टपकें

आनंद नारायण मुल्ला

निगाह-ओ-दिल का अफ़्साना क़रीब-ए-इख़्तिताम आया

आनंद नारायण मुल्ला

भूले से भी लब पर सुख़न अपना नहीं आता

आनंद नारायण मुल्ला

अरमाँ को छुपाने से मुसीबत में है जाँ और

आनंद नारायण मुल्ला

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा

अमजद इस्लाम अमजद

हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के रक्खे थे

अमजद इस्लाम अमजद

अगरचे कोई भी अंधा नहीं था

अमजद इस्लाम अमजद

थक गए तुम हसरत-ए-ज़ौक़-ए-शहादत कम नहीं

अमीरुल्लाह तस्लीम

क्यूँ ख़राबात में लाफ़-ए-हमा-दानी वाइ'ज़

अमीरुल्लाह तस्लीम

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