बादल Poetry (page 3)

बारिश रुकी वबाओं का बादल भी छट गया

यासीन अफ़ज़ाल

कोई बादल तपिश-ए-ग़म से पिघलता ही नहीं

याक़ूब राही

महशर का हमें क्या ग़म इस्याँ किसे कहते हैं

वज़ीर अली सबा लखनवी

टीन का डिब्बा

वज़ीर आग़ा

सफ़र

वज़ीर आग़ा

अजनबी

वज़ीर आग़ा

आवेज़िश

वज़ीर आग़ा

वो परिंदा है कहाँ शब को चहकने वाला

वज़ीर आग़ा

सुनो उजड़ा मकाँ इक बद-दुआ है

वज़ीर आग़ा

सहर ने आ कर मुझे सुलाया तो मैं ने जाना

वज़ीर आग़ा

तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा

वसीम बरेलवी

खेल मौजों का ख़तरनाक सही क्या मैं इस खेल से डर जाऊँगा

वाक़िफ़ राय बरेलवी

आरियों की पहली आमद हिन्दोस्तान में

वहीदुद्दीन सलीम

बे-बरसे गुज़र जाते हैं उमडे हुए बादल

वहीद अख़्तर

दीवानों को मंज़िल का पता याद नहीं है

वहीद अख़्तर

न दरमियाँ न कहीं इब्तिदा में आया है

विशाल खुल्लर

जीवन है पल पल की उलझन किस किस पल की बात करें

विलास पंडित मुसाफ़िर

हवा बहने लगी मुझ में

विकास शर्मा राज़

फ़िक्र का कारोबार था मुझ में

विकास शर्मा राज़

फ़सील-ए-शब पे तारों ने लिखा क्या

विकास शर्मा राज़

उस गली तक सड़क रही होगी

विजय शर्मा अर्श

बस्ता-लब था वो मगर सारे बदन से बोलता था

उर्फ़ी आफ़ाक़ी

रात कई आवारा सपने आँखों में लहराए थे

उनवान चिश्ती

कब तक इस प्यास के सहरा में झुलसते जाएँ

उम्मीद फ़ाज़ली

धूप होते हुए बादल नहीं माँगा करते

तुफ़ैल चतुर्वेदी

मरते मरते रौशनी का ख़्वाब तो पूरा हुआ

तौसीफ़ तबस्सुम

सदियों लहू से दिल की हिकायत लिखी गई

तसनीम फ़ारूक़ी

ये कैसी सुब्ह हुई कैसा ये सवेरा है

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

ख़्वाब पहले ले गया फिर रत-जगा भी ले गया

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

निकले लोग सफ़र पर शब के जंगल में

तारिक़ पीरज़ादा

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