बदन Poetry (page 22)

दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा

इक़बाल नवेद

अपने बदन को छोड़ के पछताओगे मियाँ

इंतिख़ाब सय्यद

हर एक शख़्स के विज्दान से ख़िताब करे

इंतिख़ाब सय्यद

अपने बदन को छोड़ के पछताओगे मियाँ

इंतिख़ाब सय्यद

राज़ी-नामा

इंजील सहीफ़ा

कोई बाग़ सा सजा हुआ मिरे सामने

इनाम नदीम

अगर है रेत की दीवार ध्यान टूटेगा

इम्तियाज़ अहमद राही

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

मौसम-ए-गुल है तिरे सुर्ख़ दहन की हद तक

इमरान-उल-हक़ चौहान

अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे

इमरान-उल-हक़ चौहान

कभी पैरों से आँखों तक चुभन महसूस होती है

इमरान शमशाद

तलाश मैं ने ज़िंदगी में तेरी बे-शुमार की

इमरान हुसैन आज़ाद

जितने पानी में कोई डूब के मर सकता है

इमरान आमी

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

रौशन हज़ार चंद हैं शम्स-ओ-क़मर से आप

इमदाद अली बहर

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

ख़ूब-रूयान-ए-जहाँ चाँद की तनवीरें हैं

इमदाद अली बहर

जड़ाव चूड़ियों के हाथों में फबन क्या ख़ूब

इमदाद अली बहर

अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

शाम से तन्हा खड़ा हूँ यास का पैकर हूँ मैं

इफ़्तिख़ार नसीम

है जुस्तुजू अगर इस को इधर भी आएगा

इफ़्तिख़ार नसीम

घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

इफ़्तिख़ार मुग़ल

ये तिरा बाँकपन ये रानाई

इफ़्तिख़ार जमील शाहीन

धुँद

इफ़्तेख़ार जालिब

आसाँ नहीं है जादा-ए-हैरत उबूरना

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

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