बदन Poetry (page 21)

तुझे ज़रा दुख और सिसकने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सद-सौग़ात सकूँ फ़िरदौस सितंबर आ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न हरीफ़ाना मिरे सामने आ मैं क्या हूँ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मिरे बदन में पिघलता हुआ सा कुछ तो है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मैं उस की बात की तरदीद करने वाला था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

फ़ज़ा कि फिर आसमान भर थी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दमक रहा था बहुत यूँ तो पैरहन उस का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

छुपी है तुझ में कोई शय उसे न ग़ारत कर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

चाँद की अव्वल किरन मंज़र-ब-मंज़र आएगी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे

राजेन्द्र कृष्ण

अब है दुआ ये अपनी हर शाम हर सहर को

रजब अली बेग सुरूर

करूँ शिकवा न क्यूँ चर्ख़-ए-कुहन से

रजब अली बेग सुरूर

इस तरह आह कल हम उस अंजुमन से निकले

रजब अली बेग सुरूर

और कुछ तेज़ चलीं अब के हवाएँ शायद

रईस सिद्दीक़ी

ख़ानम-जान

रईस फ़रोग़

रातों को दिन के सपने देखूँ दिन को बिताऊँ सोने में

रईस फ़रोग़

जू-ए-ताज़ा किसी कोहसार-कुहन से आए

रईस फ़रोग़

हवा ने बादल से क्या कहा है

रईस फ़रोग़

घर मुझे रात भर डराए गया

रईस फ़रोग़

अपने ही शब ओ रोज़ में आबाद रहा कर

रईस फ़रोग़

आँखें जिन को देख न पाएँ सपनों में बिखरा देना

रईस फ़रोग़

मता-ओ-माल-ए-हवस हुब्ब-ए-आल सामने है

राही फ़िदाई

ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं

इरफ़ान सत्तार

अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है

इरफ़ान सत्तार

अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया

इरफ़ान सत्तार

आज बाम-ए-हर्फ़ पर इम्कान भर मैं भी तो हूँ

इरफ़ान सत्तार

चैत का फूल

इक़तिदार जावेद

वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा

इक़बाल साजिद

संग-दिल हूँ इस क़दर आँखें भिगो सकता नहीं

इक़बाल साजिद

प्यासे के पास रात समुंदर पड़ा हुआ

इक़बाल साजिद

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