बदन Poetry (page 20)

कोई रस्ता कोई रहरव कोई अपना नहीं मिलता

राशिद क़य्यूम अनसर

इस ए'तिबार से वो ज़ूद-रंज अच्छा है

राशिद मुराद

वो जो ख़ुद अपने बदन को साएबाँ करता नहीं

राशिद मुफ़्ती

ग़ौर करो तो चेहरा चेहरा ओढ़े गहरे गहरे रंग

राशिद मतीन

मुजरिम है तुम्हारा तो सज़ा क्यूँ नहीं देते

राशिद फ़ज़ली

ज़माना गुज़रा है लहरों से जंग करते हुए

राशिद अनवर राशिद

ये सोच कर मैं रुका था कि तू पुकारेगा

राशिद अनवर राशिद

वो और लोग थे जो रास्ते बदलते रहे

राशिद अनवर राशिद

सुना कि ख़ूब है उस के दयार का मौसम

राशिद अनवर राशिद

शहर से कोई मज़ाफ़ात में आया हुआ था

राशिद अमीन

सैराबी

राशिद आज़र

अन-चाही मौत

राशिद आज़र

दर्द अपना था तो इस दर्द को ख़ुद सहना था

राशिद आज़र

ये ज़ाविया सूरज का बदल जाएगा साईं

रशीद क़ैसरानी

मिरी जबीं का मुक़द्दर कहीं रक़म भी तो हो

रशीद क़ैसरानी

मैं ने कहीं थीं आप से बातें भली भली

रशीद क़ैसरानी

मैं ने काग़ज़ पे सजाए हैं जो ताबूत न खोल

रशीद क़ैसरानी

गुम्बद-ए-ज़ात में अब कोई सदा दूँ तो चलूँ

रशीद क़ैसरानी

आया उफ़ुक़ की सेज तक आ कर पलट गया

रशीद क़ैसरानी

शो'ला शमीम-ए-ज़ुल्फ़ से आगे बढ़ा नहीं

रशीद अफ़रोज़

थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम

रम्ज़ी असीम

तुम पसीना मत कहो है जाँ-फ़िशानी का लिबास

रम्ज़ अज़ीमाबादी

कुछ इस अदा से सफ़ीरान-ए-नौ-बहार चले

रम्ज़ अज़ीमाबादी

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

राम रियाज़

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

राम रियाज़

आँखों में तेज़ धूप के नेज़े गड़े रहे

राम रियाज़

ख़िरामाँ शाहिद-ए-सीमीं बदन है

राम कृष्ण मुज़्तर

ये ज़ख़्म ज़ख़्म बदन और नम फ़ज़ाओं में

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

जो निहायत मेहरबाँ है और निहाँ रक्खा गया

रख़्शंदा नवेद

जो निहायत मेहरबाँ है और निहाँ रखा गया

रख़्शंदा नवेद

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