ख़िरामाँ शाहिद-ए-सीमीं बदन है

ख़िरामाँ शाहिद-ए-सीमीं बदन है

क़यामत आसमानी पैरहन है

तबस्सुम है कि मौज-ए-नूर-ओ-निकहत

नज़र है या मोहब्बत की किरन है

मिरी मस्ती का अंदाज़ा है किस को

निगाह-ए-नाज़ मेरी हम-सुख़न है

वो मेरी ज़िंदगी पर हुक्मराँ हैं

मिरे बस में न ये तन है न मन है

हज़ारों रंग हैं मेरी नज़र में

तसव्वुर में किसी की अंजुमन है

ख़यालों में मिरे लहरा रही हैं

वो ज़ुल्फ़ें जिन में बू-ए-यासमन है

अभी इस में ख़िज़ाँ आने न पाए

ये नौ-रस आरज़ूओं का चमन है

कहाँ अब वो मज़ाक़-ए-सरफ़रोशी

ज़बाँ पर क़िस्सा-ए-दार-ओ-रसन है

नहीं बदले तिरे 'मुज़्तर' के अंदाज़

वही मस्ती वही दीवाना-पन है

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In Hindi By Famous Poet Ram Krishn Muztar. is written by Ram Krishn Muztar. Complete Poem in Hindi by Ram Krishn Muztar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.