ताहिर अज़ीम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ताहिर अज़ीम

ताहिर अज़ीम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ताहिर अज़ीम
नामताहिर अज़ीम
अंग्रेज़ी नामTahir Azeem

ये जो माज़ी की बात करते हैं

तुम हमारे ख़ून की क़ीमत न पूछो

तीरगी की क्या अजब तरकीब है ये

तासीर नहीं रहती अल्फ़ाज़ की बंदिश में

सोच अपनी ज़ात तक महदूद है

शहर की इस भीड़ में चल तो रहा हूँ

रहता है ज़ेहन ओ दिल में जो एहसास की तरह

मुझ को भी हक़ है ज़िंदगानी का

मैं तिरे हिज्र में जो ज़िंदा हूँ

मैं तिरे हिज्र की गिरफ़्त में हूँ

जो तिरे इंतिज़ार में गुज़रे

जो बहुत बे-क़रार रखते थे

इन बातों पर मत जाना जो आम हुईं

बरसों पहले जिस दरिया में उतरा था

हर्फ़

ये जो शीशा है दिल-नुमा मुझ में

मुझ को भी हक़ है ज़िंदगानी का

मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे

मैं उस की मोहब्बत से इक दिन भी मुकर जाता

ख़्वाहिशों की बादशाही कुछ नहीं

हर दर्द की दवा भी ज़रूरी नहीं कि हो

इक वहशत सी दर आई है आँखों में

इक अनोखी रस्म को ज़िंदा रखा है

बढ़ रहा हूँ ख़याल से आगे

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