मनुष्य Poetry (page 2)

क्यूँ फ़ना से डरें बक़ा क्या है

सय्यद हामिद

आह-ओ-फ़रियाद का असर देखा

सय्यद हामिद

इज़्ज़त उसी की अहल-ए-नज़र की नज़र में है

सय्यद अमीर हसन मारहरवी दिलेर

रात दिन शाम-ओ-सहर सब एक रंग

सुल्तान शाहिद

तुम न घबराओ मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर को देख कर

सुदर्शन फ़ाकिर

कुछ इस तरह से है मेरे असर में तन्हाई

सिया सचदेव

समझते क्या हैं इन दो चार रंगों को उधर वाले

शुजा ख़ावर

वक़्त आफ़ाक़ के जंगल का जवाँ चीता है

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

गुहर को जौहरी सर्राफ़ ज़र को देखते हैं

ज़ौक़

मंज़िल है कठिन कम ज़ाद-ए-सफ़र मालूम नहीं क्या होना है

शौक़ बहराइची

फैमली-प्लैनिंग

शौकत थानवी

ये रात कितनी भयानक है बाम-ओ-दर के लिए

शातिर हकीमी

अपनी आँखों पर वो नींदों की रिदा ओढ़े हुए

शारिब मौरान्वी

तिश्ना-लब कोई जो सर-गश्ता सराबों में रहा

शरर फ़तेह पुरी

मिरे ए'तिमाद को ग़म मिला मिरी जब किसी पे नज़र गई

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

इस दर्जा बद-गुमाँ हैं ख़ुलूस-ए-बशर से हम

शकील बदायुनी

सदा है इस आह-ओ-चश्म-ए-तर से फ़लक पे बिजली ज़मीं पे बाराँ

शाह नसीर

क्यूँ न कहें बशर को हम आतिश-ओ-आब ओ ख़ाक-ओ-बाद

शाह नसीर

देख तू यार-ए-बादा-कश! मैं ने भी काम क्या किया

शाह नसीर

ख़ुदा का डर न होता गर बशर को

शाद लखनवी

तू वो हिन्दोस्ताँ में लाला है

शाद लखनवी

हस्ती-ओ-अदम में नफ़स-ए-चंद बशर के

शाद लखनवी

दुनिया में क़स्र-ओ-ऐवाँ बे-फ़ाएदा बनाया

शाद लखनवी

दम-ए-आख़िर ये शिकवा क्या न करता

शाद लखनवी

बद-गुमानी जो हुई शम्अ' से परवाने को

शाद लखनवी

अक़्लीम-ए-दिल पे इश्क़ की फ़रमाँ-रवाइयाँ

शाद बिलगवी

मेरी क़िस्मत से क़फ़स का या तो दर खुलता नहीं

सेहर इश्क़ाबादी

ब-क़ैद-ए-वक़्त ये मुज़्दा सुना रहा है कोई

सीमाब अकबराबादी

दीद के बदले सदा दीदा-ए-तर रक्खा है

सलीम फ़िगार

दीद के बदले सदा दीदा-ए-तर रक्खा है

सलीम फ़िगार

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