फैमली-प्लैनिंग

ऐ मिरे बच्चे मिरे लख़्त-ए-जिगर पैदा न हो

याद रख पछताएगा तू मेरे घर पैदा न हो

तुझ को पैदाइश का हक़ तो है मगर पैदा न हो

मैं तिरा एहसान मानूँगा अगर पैदा न हो

हम ने ये माना कि पैदा हो गया खाएगा क्या

घर में दाने ही न पाएगा तो भुनवाएगा क्या

इस निखट्टू बाप से माँगेगा क्या पाएगा क्या

देख कहना मान ले जान-ए-पिदर पैदा न हो

यूँ ही तेरे भाई बहनों की है घर में रेल-पेल

बिलबिलाते फिर रहे हैं हर तरफ़ जो बे-नकेल

मेरे घर के इन चराग़ों को मयस्सर कब है तेल

बुझ के रह जाएगा तो भी भूल कर पैदा न हो

पालते हैं नाज़ से कुछ लोग कुत्ते बिल्लियाँ

दूध वो जितना पिएँ और खाएँ जितनी रोटियाँ

ये फ़राग़त ऐ मिरे बच्चे मुझे हासिल कहाँ

उन के घर पैदा हो और बन कर बशर पैदा न हो

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In Hindi By Famous Poet Shaukat Thanvi. is written by Shaukat Thanvi. Complete Poem in Hindi by Shaukat Thanvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.