बज़्म Poetry (page 17)

रक़्स-ए-शबाब-ओ-रंग-ए-बहाराँ नज़र में है

राम कृष्ण मुज़्तर

फिर कोई ख़लिश नज़्द-ए-राग-ए-जाँ तो नहीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

मसअला ये भी ब-फ़ैज़-ए-इश्क़ आसाँ हो गया

राम कृष्ण मुज़्तर

दीवाना कर के मुझ को तमाशा किया बहुत

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

वो दिलबर हैं तो गोया दिलबरी करनी पड़ेगी

रख़्शंदा नवेद

तीरगी बला की है मैं कोई सदा लगाऊँ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सियाह-ख़ाना-ए-उम्मीद-ए-राएगाँ से निकल

राजेन्द्र मनचंदा बानी

छुपी है तुझ में कोई शय उसे न ग़ारत कर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

शमएँ जुगनू चाँद के हाले जम्अ करो

राज खेती

शमएँ जुगनू चाँद के हाले जम्अ' करो

राज खेती

राज़-ए-गिरफ़्तगी न असीर-ए-लहन से पूछ

रईस अमरोहवी

मुक़र्रेबीन में रम्ज़-आशना कहाँ निकले

रईस अमरोहवी

कुछ इस अदा से मोहब्बत-शनास होना है

राहुल झा

तुम अपने हुस्न पे ग़ज़लें पढ़ा करो बैठे

राहील फ़ारूक़

हम बाग़-ए-तमन्ना में दिन अपने गुज़ार आए

इरम लखनवी

हज़ार बार वो बैठा हज़ार बार उठा

इक़तिदार जावेद

अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार-ए-सहर हो कि न हो

इक़बाल उमर

गुज़र गई जो चमन पर वो कोई क्या जाने

इक़बाल सफ़ी पूरी

आँखों को इंतिशार है दिल बे-क़रार है

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

मुझे अपने ज़ब्त पे नाज़ था सर-ए-बज़्म रात ये क्या हुआ

इक़बाल अज़ीम

मुझ पर निगाह-ए-गर्दिश-ए-दौराँ नहीं रही

इक़बाल आबिदी

काम आ गई है गर्दिश-ए-दौराँ कभी कभी

इक़बाल आबिदी

हरा-भरा था चमन में शजर अकेला था

इंतिख़ाब अालम

बैठता है जब तुंदीला शैख़ आ कर बज़्म में

इंशा अल्लाह ख़ान

जी चाहता है शैख़ की पगड़ी उतारिए

इंशा अल्लाह ख़ान

आज फिर चाँद उस ने माँगा है

इन्दिरा वर्मा

जो चला आता है ख़्वाबों की तरफ़-दारी को

इनआम आज़मी

कुछ तो ऐ यार इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई हो

इमरान शनावर

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

इमरान हुसैन आज़ाद

सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ

इम्दाद इमाम असर

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