वो दिलबर हैं तो गोया दिलबरी करनी पड़ेगी

वो दिलबर हैं तो गोया दिलबरी करनी पड़ेगी

उन्हीं के नाम दिल की डाइरी करनी पड़ेगी

वो उन को जानते हैं और उन के हाल-ए-दिल को

सो उन के दोस्तों से दोस्ती करनी पड़ेगी

हमारे दरमियाँ ये दुख ही क़द्र-ए-मुश्तरक हैं

सो हम को इजतिमाई ख़ुद-कुशी करनी पड़ेगी

बदन को रूह से महरूम कर डाला गया है

बसर इस तौर ही अब ज़िंदगी करनी पड़ेगी

बुलाया जाए कैसे उस शनासा-ए-सुख़न को

बपा इक बज़्म-ए-शेर-ओ-शायरी करनी पड़ेगी

बहुत मुद्दत से हँसना भूल कर बैठी हुई है

तुम्हें 'रख़्शंदा' शायद गुदगुदी करनी पड़ेगी

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In Hindi By Famous Poet Rakhshanda Naved. is written by Rakhshanda Naved. Complete Poem in Hindi by Rakhshanda Naved. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.