बज़्म Poetry (page 5)

ग़लत की हिज्र में हासिल मुझे क़रार नहीं

तिलोकचंद महरूम

वो अव्वलीं दर्द की गवाही सजी हुई बज़्म-ए-ख़्वाब जैसे

तौसीफ़ तबस्सुम

इक तीर नहीं क्या तिरी मिज़्गाँ की सफ़ों में

तौसीफ़ तबस्सुम

बजा कि दरपय-ए-आज़ार चश्म-ए-तर है बहुत

तौसीफ़ तबस्सुम

राज़ का बज़्म में चर्चा कभी होने न दिया

तसनीम आबिदी

सुकूत-ए-शब में

तारिक़ क़मर

ख़िज़ाँ-नसीबों पे बैन करती हुई हवाएँ

तारिक़ क़मर

कैसे रिश्तों को समेटें ये बिखरते हुए लोग

तारिक़ क़मर

इस रात किसी और क़लम-रौ में कहीं था

तारिक़ नईम

ऐसी तक़्सीम की सूरत निकल आई घर में

तारिक़ नईम

कोई शिकवा था शिकायत थी गिला था क्या था

तनवीर गौहर

हर अश्क तिरी याद का नक़्श-ए-कफ़-ए-पा है

तख़्त सिंह

हश्र में फिर वही नक़्शा नज़र आता है मुझे

ताजवर नजीबाबादी

सवाद-ए-ग़म में कहीं गोशा-ए-अमाँ न मिला

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

शौक़ के ख़्वाब-ए-परेशाँ की हैं तफ़्सीरें बहुत

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

नुमू के फ़ैज़ से रंग-ए-चमन निखर सा गया

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

उठते जाते हैं बज़्म-ए-आलम से

तअशशुक़ लखनवी

जोश पर थीं सिफ़त-ए-अब्र-ए-बहारी आँखें

तअशशुक़ लखनवी

क़ाज़ी के मुँह पे मारी है बोतल शराब की

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

कभी ख़ूँ होती हुए और कभी जलते देखा

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की मरे ज़िक्र पर झेंप जाती तो होगी

सय्यद शकील दस्नवी

बनाया है शहकार यूँ तेरे ग़म ने

सय्यद सग़ीर सफ़ी

मेरी निगह में यार मैं उस की निगाह में

सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी

बढ़ा तन्हाई में एहसास-ए-ग़म आहिस्ता आहिस्ता

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

अगर कहीं पर लिखा हुआ है

सय्यद मुबारक शाह

कुछ इस तरह ग़म-ए-उल्फ़त की काएनात लुटी

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

मुशाएरा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

मैं नशे में हूँ

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

इम्तिहान

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

सिगरेट और पान का मुकालिमा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

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