हसन Poetry (page 35)

अश्क की ऐसी फ़रावानी पे रश्क आता है

हस्सान अहमद आवान

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी

हसरत मोहानी

आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न

हसरत मोहानी

याद कर वो दिन कि तेरा कोई सौदाई न था

हसरत मोहानी

वो चुप हो गए मुझ से क्या कहते कहते

हसरत मोहानी

तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा

हसरत मोहानी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी

हसरत मोहानी

ताबाँ जो नूर-ए-हुस्न ब-सिमा-ए-इश्क़ है

हसरत मोहानी

रविश-ए-हुस्न-ए-मुराआत चली जाती है

हसरत मोहानी

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे

हसरत मोहानी

न सूरत कहीं शादमानी की देखी

हसरत मोहानी

जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

फ़ैज़-ए-मोहब्बत से है क़ैद-ए-मिहन

हसरत मोहानी

दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का

हसरत मोहानी

दीदनी हैं दिल-ए-ख़राब के रंग

हसरत मोहानी

देखना भी तो उन्हें दूर से देखा करना

हसरत मोहानी

बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा

हसरत मोहानी

आसान-ए-हक़ीकी है न कुछ सहल-ए-मजाज़ी

हसरत मोहानी

ज़ाहिदा किस हुस्न-ए-गंदुम-गूँ पे है तेरी निगाह

हसरत अज़ीमाबादी

यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा

हसरत अज़ीमाबादी

राह-रस्ते में तू यूँ रहता है आ कर हम से मिल

हसरत अज़ीमाबादी

जिस का मयस्सर न था भर के नज़र देखना

हसरत अज़ीमाबादी

आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ

हसरत अज़ीमाबादी

तमाशा अहल-ए-मोहब्बत ये चार-सू करते

हाशिम रज़ा जलालपुरी

अनीस-ए-जाँ हैं अभी तक निशानियाँ उस की

हसन रिज़वी

मैं अपनी रूह में उस को बसा चुका इतना

हसन नईम

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