आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1408) Peoples Rate This
तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजाल
कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ
यूँ तो आशिक़ तिरा ज़माना हुआ
घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता
छेड़ा है दस्त-ए-शौक़ ने मुझ से ख़फ़ा हैं वो
भूल ही जाएँ हम को ये तो न हो
बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे
मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिल
क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता
शेर मेरे भी हैं पुर-दर्द व-लेकिन 'हसरत'
न समझे दिल फ़रेब-ए-आरज़ू को
'हसरत' बहुत है मर्तबा-ए-आशिक़ी बुलंद