मूर्ति Poetry (page 13)

साक़ी है न मय है न दफ़-ओ-चंग है होली

हातिम अली मेहर

पुतली की एवज़ हूँ बुत-ए-राना-ए-बनारस

हातिम अली मेहर

कूचा में जो उस शोख़-हसीं के न रहेंगे

हातिम अली मेहर

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

का'बा-ओ-बुत-ख़ाना वालों से जुदा बैठे हैं हम

हातिम अली मेहर

दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र कर वाइ'ज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

हातिम अली मेहर

उस बुत के पुजारी हैं मुसलमान हज़ारों

हसरत मोहानी

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

महरूम-ए-तरब है दिल-ए-दिल-गीर अभी तक

हसरत मोहानी

मैं 'हसरत' मुज्तहिद हूँ बुत-परस्ती की तरीक़त का

हसरत अज़ीमाबादी

उस ज़ुल्फ़ से दिल हो कर आज़ाद बहुत रोया

हसरत अज़ीमाबादी

सीना तो ढूँड लिया मुत्तसिल अपना हम ने

हसरत अज़ीमाबादी

क़ासिद-ए-ख़ुश-फ़ाल लाया उस के आने की ख़बर

हसरत अज़ीमाबादी

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

इश्क़ में गुल के जो नालाँ बुलबुल-ए-ग़मनाक है

हसरत अज़ीमाबादी

हम इश्क़ सिवा कम हैं किसी नाम से वाक़िफ़

हसरत अज़ीमाबादी

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

हसरत अज़ीमाबादी

अब तुझ से फिरा ये दिल-ए-नाकाम हमारा

हसरत अज़ीमाबादी

आईना तुम्हारे नक़्श-ए-पा का

हसन बरेलवी

निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है

हसन अख्तर जलील

सोच का धारा

हसन आबिद

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

हरी चंद अख़्तर

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

हरी चंद अख़्तर

क्यूँ न का'बे को कहूँ अल्लाह का और बुत का घर

हक़ीर

ब-ख़ुदा सज्दे करेगा वो बिठा कर बुत को

हक़ीर

यादों का शहर-ए-दिल में चराग़ाँ नहीं रहा

हनीफ़ अख़गर

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