मूर्ति Poetry (page 15)

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

वस्ल आसान है क्या मुश्किल है

हफ़ीज़ जौनपुरी

क़ासिद ख़िलाफ़-ए-ख़त कहीं तेरा बयाँ न हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

पत्थर से न मारो मुझे दीवाना समझ कर

हफ़ीज़ जौनपुरी

बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था

हफ़ीज़ जौनपुरी

वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया

हफ़ीज़ जालंधरी

दिल ने आँखों तक आने में इतना वक़्त लिया

हफ़ीज़ जालंधरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

तीर चिल्ले पे न आना कि ख़ता हो जाना

हफ़ीज़ जालंधरी

मुझे शाद रखना कि नाशाद रखना

हफ़ीज़ जालंधरी

जवानी के तराने गा रहा हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

इश्क़ ने हुस्न की बे-दाद पे रोना चाहा

हफ़ीज़ जालंधरी

इन गेसुओं में शाना-ए-अरमाँ न कीजिए

हफ़ीज़ जालंधरी

दिल से तिरा ख़याल न जाए तो क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

अर्ज़-ए-हुनर भी वज्ह-ए-शिकायात हो गई

हफ़ीज़ जालंधरी

लहू की मय बनाई दिल का पैमाना बना डाला

हफ़ीज़ बनारसी

तेरी आँखों का अजब तुर्फ़ा समाँ देखा है

हबीब जालिब

अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं

हबीब जालिब

तेरा कूचा है वो ऐ बुत कि हज़ारों ज़ाहिद

हबीब मूसवी

बरहमन शैख़ को कर दे निगाह-ए-नाज़ उस बुत की

हबीब मूसवी

रोना इन का काम है हर दम जल जल कर मर जाना भी

हबीब मूसवी

लैस हो कर जो मिरा तर्क-ए-जफ़ा-कार चले

हबीब मूसवी

कोई बात ऐसी आज ऐ मेरी गुल-रुख़्सार बन जाए

हबीब मूसवी

है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है

हबीब मूसवी

फ़रियाद भी मैं कर न सका बे-ख़बरी से

हबीब मूसवी

चल नहीं सकते वहाँ ज़ेहन-ए-रसा के जोड़-तोड़

हबीब मूसवी

अक़्ल पर पत्थर पड़े उल्फ़त में दीवाना हुआ

हबीब मूसवी

तिश्ना-ए-तकमील है वहशत का अफ़्साना अभी

ग्यान चन्द मंसूर

उस सितमगर की मेहरबानी से

गुलज़ार देहलवी

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