वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया
जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
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कव्वा
किसी के रू-ब-रू बैठा रहा मैं बे-ज़बाँ हो कर
मुझे शाद रखना कि नाशाद रखना
जो मिरे दिल में है कहने दीजिए
देखा न कारोबार-ए-मोहब्बत कभी 'हफ़ीज़'
हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना
हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो
हयात-ए-जावेदाँ वाले ने मारा
मिटने वाली हसरतें ईजाद कर लेता हूँ मैं
अजनबियों के शहर में गुम हूँ मगर मैं कौन हूँ
ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा
इश्क़ ने हुस्न की बे-दाद पे रोना चाहा