असरार ज़ैदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असरार ज़ैदी

असरार ज़ैदी  कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असरार ज़ैदी
नामअसरार ज़ैदी
अंग्रेज़ी नामAsrar Zaidi

वो चाँद था बादलों में गुम था

देखे-भाले रस्ते थे

राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से

रौशनी के सिलसिले ख़्वाबों में ढल कर रह गए

यूँ पाबंद-ए-सलासिल हो कर कौन फिरे बाज़ारों में

ये साल तूल-ए-मसाफ़त से चूर चूर गया

सुलग रहा हूँ ख़ुद अपनी ही आग में कब से

मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में थे

अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ

वो शख़्स जो नज़र आता था हर किसी की तरह

मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में थे

बरहनगी का मुदावा कोई लिबास न था

अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ

आने वाली कल की दे कर ख़बर गया ये दिन भी

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