Sad Poetry of Asrar Zaidi
नाम | असरार ज़ैदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asrar Zaidi |
देखे-भाले रस्ते थे
यूँ पाबंद-ए-सलासिल हो कर कौन फिरे बाज़ारों में
सुलग रहा हूँ ख़ुद अपनी ही आग में कब से
अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ
मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में थे
बरहनगी का मुदावा कोई लिबास न था
अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ
आने वाली कल की दे कर ख़बर गया ये दिन भी