अजनबियों के शहर में गुम हूँ मगर मैं कौन हूँ
दीदा-ओ-दिल की है तलाश किस को ख़बर मैं कौन हूँ
अपनी निगाह के सिवा कुछ भी नहीं मैं देखता
मुझ को भी देखना ज़रा अहल-ए-नज़र मैं कौन हूँ
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Wasi Shah
Jaun Eliya
Anwar Masood
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अर्ज़-ए-हुनर भी वज्ह-ए-शिकायात हो गई
आ ही गया वो मुझ को लहद में उतारने
दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिल
अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल
फ़ुर्सत की तमन्ना में
न कर दिल-जूई ऐ सय्याद मेरी
वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे
कृष्ण कन्हैया
दूर से आँखें दिखाती है नई दुनिया मुझे
मुझ को न सुना ख़िज़्र ओ सिकंदर के फ़साने
ज़िंदगी और मिले और मिले और मिले
ना-कामी-ए-इश्क़ या कामयाबी