दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिल
दिल-लगी ही दिल-लगी अच्छी नहीं
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बे-तअल्लुक़ ज़िंदगी अच्छी नहीं
नासेह को बुलाओ मिरा ईमान सँभाले
रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं
तराना-ए-पाकिस्तान
हाँ कैफ़-ए-बे-ख़ुदी की वो साअत भी याद है
अजनबियों के शहर में गुम हूँ मगर मैं कौन हूँ
जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा
इश्क़ ने हुस्न की बे-दाद पे रोना चाहा
इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी
मबादा फिर असीर-ए-दाम-ए-अक़्ल-ओ-होश हो जाऊँ
इरशाद की याद में