जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा
वही मेरा भी ख़ुदा हो मुझे मंज़ूर नहीं
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Jaun Eliya
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दूर से आँखें दिखाती है नई दुनिया मुझे
कभी ज़मीं पे कभी आसमाँ पे छाए जा
तन्हाई-ए-फ़िराक़ में उम्मीद बार-हा
बे-तअल्लुक़ ज़िंदगी अच्छी नहीं
इश्क़ के हाथों ये सारी आलम-आराई हुई
रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं
आख़िर एक दिन शाद करोगे
मेरी शाएरी
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
उठो अब देर होती है वहाँ चल कर सँवर जाना
मौत के चेहरे पे है क्यूँ मुर्दनी छाई हुई
जिए जाता हूँ इस शर्मिंदगी में