चाक Poetry (page 21)

जो मुझ को देख के कल रात रो पड़ा था बहुत

अख़्तर होशियारपुरी

इक नूर था कि पिछले पहर हम-सफ़र हुआ

अख़्तर होशियारपुरी

रहने दे ये तंज़ के नश्तर अहल-ए-जुनूँ बेबाक नहीं

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

अपनी बहार पे हँसने वालो कितने चमन ख़ाशाक हुए

अख़्तर अंसारी

ये गुल जिस ख़ाक से लाया गया है

अकबर मासूम

ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे

अकबर इलाहाबादी

ख़ुश-रंग किस क़दर ख़स-ओ-ख़ाशाक थे कभी

अकबर अली खान अर्शी जादह

इतराता गरेबाँ पर था बहुत, रह-ए-इश्क़ में कब का चाक हुआ

अजमल सिद्दीक़ी

शहर शहर ढूँड आए दर-ब-दर पुकार आए

अजमल अजमली

कुछ कम नहीं हैं शम्अ से दिल की लगन में हम

ऐश देहलवी

काएनात-ए-ज़ात का मुसाफ़िर

अहमद ज़फ़र

ये क्या कि आशिक़ी में भी फ़िक्र-ए-ज़ियाँ रहे

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

हम ही बदलेंगे रह-ओ-रस्म-ए-गुलिस्ताँ यारो

अहमद रियाज़

एक उम्र होती है

अहमद राही

ये दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल कहाँ कही जाए

अहमद राही

क़याम-ए-दैर-ओ-तवाफ़-ए-हरम नहीं करते

अहमद राही

नया साल

अहमद नदीम क़ासमी

तंग आ जाते हैं दरिया जो कुहिस्तानों में

अहमद नदीम क़ासमी

कहूँ किस से रात का माजरा नए मंज़रों पे निगाह थी

अहमद मुश्ताक़

मैं वहशत-ओ-जुनूँ में तमाशा नहीं बना

अहमद ख़याल

फ़लक के रंग ज़मीं पर उतारता हुआ मैं

अहमद ख़याल

तमाम भीड़ से आगे निकल के देखते हैं

अहमद कमाल परवाज़ी

अन-पढ़ गूँगे का रजज़

अहमद जावेद

दुनिया से तन को ढाँप क़यामत से जान को

अहमद जावेद

दिल आईना है मगर इक निगाह करने को

अहमद जावेद

चाक करते हैं गरेबाँ इस फ़रावानी से हम

अहमद जावेद

कर गए कूच कहाँ

अहमद फ़राज़

ईद-कार्ड

अहमद फ़राज़

दोस्ती का हाथ

अहमद फ़राज़

ऐ मेरे सारे लोगो

अहमद फ़राज़

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