नया साल

रात की उड़ती हुई राख से बोझल है नसीम

यूँ असा टेक के चलती है कि रहम आता है

साँस लेती है दरख़्तों का सहारा ले कर

और जब उस के लिबादे से लिपट कर कोई

पत्ता गिरता है तो पत्थर सा लुढ़क जाता है

शाख़ें हाथों में लिए कितनी अधूरी कलियाँ

माँगती हैं फ़क़त इक नर्म सी जुम्बिश की दुआ

ऐसा चुप-चाप है सँवलाई हुई सुब्ह में शहर

जैसे माबद किसी मुरझाए हुए मज़हब का

सर पे अपनी ही शिकस्तों को उठाए हुए लोग

इक दोराहे पे गिरोहों में खड़े हैं तन्हा

यक-ब-यक फ़ासले ताँबे की तरह बजने लगे

क़दम उठते हैं तो ज़र्रे भी सदा देने लगे

दर्द के पैरहन-ए-चाक से झाँको तो ज़रा

मुर्दा सूरज पे लटकते हुए मैले बादल

किसी तूफ़ान की आमद का पता देते हैं!

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Naya Sal In Hindi By Famous Poet Ahmad Nadeem Qasmi. Naya Sal is written by Ahmad Nadeem Qasmi. Complete Poem Naya Sal in Hindi by Ahmad Nadeem Qasmi. Download free Naya Sal Poem for Youth in PDF. Naya Sal is a Poem on Inspiration for young students. Share Naya Sal with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.