दरांती

चमक रहे हैं दरांती के तेज़ दंदाने

ख़मीदा हल की ये अल्हड़ जवान नूर-ए-नज़र

सुनहरी फ़स्ल में जिस वक़्त ग़ोता-ज़न होगी

तो एक गीत छिड़ेगा मुसलसल और दराज़

'नदीम' अज़ल से है तख़्लीक़ का यही अंदाज़

सितारे बोए गए आफ़्ताब काटे गए

हम आफ़्ताब ज़मीर-ए-जहाँ में बोएँ गे

तो एक रोज़ अज़ीम इंक़लाब काटेंगे

कोई बताए ज़मीं के इजारा-दारों को

बुला रहे हैं जो गुज़री हुई बहारों को

कि आज भी तो उसी शान-ए-बे-नियाज़ी से

चमक रहे हैं दरांती के तेज़ दंदाने

सुनहरी फ़स्ल तक उस की चमक नहीं मौक़ूफ़

कि अब निज़ाम-ए-कोहन भी उसी की ज़द में है

ख़मीदा हल की ये अल्हड़ जवान नूर-ए-नज़र

जब इस निज़ाम में लहरा के ग़ोता-ज़न होगी

तो एक गीत छिड़ेगा मुसलसल और दराज़

'नदीम' अज़ल से है तख़्लीक़ का यही अंदाज़

सितारे बोए गए आफ़्ताब काटे गए

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Daranti In Hindi By Famous Poet Ahmad Nadeem Qasmi. Daranti is written by Ahmad Nadeem Qasmi. Complete Poem Daranti in Hindi by Ahmad Nadeem Qasmi. Download free Daranti Poem for Youth in PDF. Daranti is a Poem on Inspiration for young students. Share Daranti with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.