चंद्रमा Poetry (page 5)

उम्र को करती हैं पामाल बराबर यादें

वहीद अख़्तर

रहे वो ज़िक्र जो लब-हा-ए-आतिशीं से चले

वहीद अख़्तर

ये कश्मकश-ए-मुनइ'म-ओ-नादार कहाँ तक

वफ़ा सिद्दीक़ी

जी में है इक दिन झूम कर उस शोख़ को सज्दा करूँ

वारिस किरमानी

आशिक़ हुए तो इश्क़ में होश्यार क्यूँ न थे

वारिस किरमानी

इश्क़ के हाथों में परचम के सिवा कुछ भी नहीं

उरूज ज़ैदी बदायूनी

नाज़ कर नाज़ कि ये नाज़ जुदा है सब से

उम्मीद फ़ाज़ली

मक़्तल-ए-जाँ से कि ज़िंदाँ से कि घर से निकले

उम्मीद फ़ाज़ली

मुझे मेहमाँ ही जानो रात भर का

उमर अंसारी

जिस आईने में भी झाँका नज़र उसी से मिली

उमर अंसारी

बसंत और होली की बहार

उफ़ुक़ लखनवी

दिन में सूरज है मिरी महरूमियों का तर्जुमाँ

तिश्ना बरेलवी

हिज्राँ की शब जो दर्द के मारे उदास हैं

तिलोकचंद महरूम

हमारे वास्ते है एक जीना और मर जाना

तिलोकचंद महरूम

वो अव्वलीं दर्द की गवाही सजी हुई बज़्म-ए-ख़्वाब जैसे

तौसीफ़ तबस्सुम

मरते मरते रौशनी का ख़्वाब तो पूरा हुआ

तौसीफ़ तबस्सुम

बजा कि दरपय-ए-आज़ार चश्म-ए-तर है बहुत

तौसीफ़ तबस्सुम

तमाम उम्र-ए-रवाँ का माल हैरत है

तसनीम आबिदी

मिरे चारा-गर तुझे क्या ख़बर, जो अज़ाब-ए-हिज्र-ओ-विसाल है

तसनीम आबिदी

हुए हो किस लिए बरहम अज़ीज़म

तसनीम आबिदी

नाम लोगे जो याँ से जाने का

मीर तस्कीन देहलवी

क्या क्या मज़े से रात की अहद-ए-शबाब में

मीर तस्कीन देहलवी

फ़र्क़ कुछ तो चाहिए अग़्यार से

मीर तस्कीन देहलवी

दर-ओ-बस्त-ए-अनासिर पारा पारा होने वाला है

तारिक़ नईम

कोई है बाम पर देखा तो जाए

तारिक़ मतीन

रिदा-ए-संग ओढ़ कर न सो गया हो काँच भी

तनवीर मोनिस

मुझ को दिमाग़-ए-गर्मी-ए-बाज़ार है कहाँ

तालिब चकवाली

जिंस-ए-हुनर मज़ाक़-ए-ख़रीदार देख कर

ताजवर नजीबाबादी

हुस्न-ए-शोख़-चश्म में नाम को वफ़ा नहीं

ताजवर नजीबाबादी

हश्र में फिर वही नक़्शा नज़र आता है मुझे

ताजवर नजीबाबादी

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