चेहरा Poetry (page 19)

बचपन

फ़ारूक़ नाज़की

अंधा सफ़र

फ़ारूक़ मुज़्तर

वो चाँद-चेहरा सी एक लड़की

फ़ारूक़ बख़्शी

ख़ुदा करे कि ये मिट्टी बिखर भी जाए अब

फ़ारूक़ बख़्शी

आईने से झाँकती नज़्म

फरीहा नक़वी

चाँदनी ने रात का मौसम जवाँ जैसे किया

फ़ारिग़ बुख़ारी

चाँदनी ने रात का मौसम जवाँ जैसे किया

फ़ारिग़ बुख़ारी

न दौलत की तलब थी और न दौलत चाहिए है

फ़रहत नदीम हुमायूँ

समुंदर

फ़रहत एहसास

पेश-ओ-पस

फ़रहत एहसास

ना-रसाई

फ़रहत एहसास

वो मेरी जाँ के सदफ़ में गुहर सा रहता है

फ़रहत एहसास

ना-क़ाबिल-ए-यक़ीं था अगरचे शुरूअ' में

फ़रहत एहसास

लगे हुए हैं ज़माने के इंतिज़ाम में हम

फ़रहत एहसास

ख़त बहुत उस के पढ़े हैं कभी देखा नहीं है

फ़रहत एहसास

जिस तरह पैदा हुए उस से जुदा पैदा करो

फ़रहत एहसास

देखते ही देखते खोने से पहले देखते

फ़रहत एहसास

बे-रंग बड़े शहर की हस्ती भी वहीं थी

फ़रहत एहसास

मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद

फ़रहान सालिम

सिकंदर हूँ तलाश-ए-आब-ए-हैवाँ रोज़ करता हूँ

फ़रीद परबती

ज़माना झुक गया होता अगर लहजा बदल लेते

फ़रह इक़बाल

तुम्हारा चेहरा तुम्हें हू-ब-हू दिखाऊँगा

फ़राग़ रोहवी

कहीं सूरज कहीं ज़र्रा चमकता है

फ़राग़ रोहवी

कहीं सूरज कहीं ज़र्रा चमकता है

फ़राग़ रोहवी

हमारे साथ उमीद-ए-बहार तुम भी करो

फ़राग़ रोहवी

वो जी गया जो इश्क़ में जी से गुज़र गया

फ़ानी बदायुनी

या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

हुस्न का एक आह ने चेहरा निढाल कर दिया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

घर हुआ गुलशन हुआ सहरा हुआ

फ़ना निज़ामी कानपुरी

आईना

फख्र ज़मान

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