छोड़ दो Poetry (page 19)

दिल छोड़ के हर राहगुज़र ढूँढ रहा हूँ

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

आरज़ूओं का नगर छोड़ आए

रहमत अमरोहवी

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

राही शहाबी

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

राही शहाबी

लज़्ज़त का ज़हर वक़्त-ए-सहर छोड़ कर कोई

राही फ़िदाई

कितनी दूर से चलते चलते ख़्वाब-नगर तक आई हूँ

इरम ज़ेहरा

ये तिरे अशआर तेरी मानवी औलाद हैं

इक़बाल साजिद

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा

इक़बाल साजिद

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा

इक़बाल साजिद

जाने क्यूँ घर में मिरे दश्त-ओ-बयाबाँ छोड़ कर

इक़बाल साजिद

बे-ख़बर दुनिया को रहने दो ख़बर करते हो क्यूँ

इक़बाल साजिद

यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया

इक़बाल कैफ़ी

अपना घर छोड़ के हम लोग वहाँ तक पहुँचे

इक़बाल अज़ीम

अब इसे क्या करे कोई आँखों में रौशनी नहीं

इक़बाल अज़ीम

अपने बदन को छोड़ के पछताओगे मियाँ

इंतिख़ाब सय्यद

अपने बदन को छोड़ के पछताओगे मियाँ

इंतिख़ाब सय्यद

न कह तू शैख़ मुझे ज़ोहद सीख मस्ती छोड़

इंशा अल्लाह ख़ान

नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया

इंशा अल्लाह ख़ान

चाहता हूँ तुझे नबी की क़सम

इंशा अल्लाह ख़ान

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

इंशा अल्लाह ख़ान

शाख़-ए-अदम

इंजिला हमेश

मुझे साँसों की है थोड़ पिया

इंजील सहीफ़ा

दिल से दिल का रिश्ता होगा

इंद्र सराज़ी

ताराज ख़्वाहिशों का मुदावा न हो सका

इम्तियाज़ अहमद

तुझ को खो देने का एहसास हुआ तेरे बा'द

इमरान साग़र

मैं शजर हूँ और इक पत्ता है तू

इमरान हुसैन आज़ाद

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ

इम्दाद इमाम असर

साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट

इमदाद अली बहर

जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा

इमदाद अली बहर

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