दूर Poetry (page 36)

जब तक दौर-ए-जाम चलेगा

रसा चुग़ताई

जब भी तेरी यादों का सिलसिला सा चलता है

रसा चुग़ताई

अब जो देखा तो दास्तान से दूर

रसा चुग़ताई

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

इस दौर-ए-ना-मुराद से ये तजरबा हुआ

राना आमिर लियाक़त

अब ऐसे दश्त-मिज़ाजों से दूर घर लिया जाए

राना आमिर लियाक़त

तुम पसीना मत कहो है जाँ-फ़िशानी का लिबास

रम्ज़ अज़ीमाबादी

वो जो भी बख़्शें वो इनआम ले लिया जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

तुम्हारा क़ुर्ब वजह-ए-इज़्तिराब-ए-दिल न बन जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

ज़िंदाँ में भी वही लब-ओ-रुख़्सार देखते

राम रियाज़

ज़र्रा इंसान कभी दश्त-नगर लगता है

राम रियाज़

रौशनी वाले तो दुनिया देखें

राम रियाज़

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

राम रियाज़

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

राम रियाज़

किस ने कहा था शहर में आ कर आँख लड़ाओ दीवारों से

राम प्रकाश राही

रू-पोश आँख से कोई ख़ुशबू लिबास है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

कोई ख़्वाब ख़्वाब सा फ़ासला

राजेन्द्र मनचंदा बानी

आख़िरी मौसम

राजेन्द्र मनचंदा बानी

तीरगी बला की है मैं कोई सदा लगाऊँ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

रही न यारो आख़िर सकत हवाओं में

राजेन्द्र मनचंदा बानी

क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न सर में था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

हम हैं मंज़र सियह आसमानों का है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिन को दफ़्तर में अकेला शब भरे घर में अकेला

राजेन्द्र मनचंदा बानी

चाँद की अव्वल किरन मंज़र-ब-मंज़र आएगी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ

राजेश रेड्डी

सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले

राजेश रेड्डी

दरवाज़े के अंदर इक दरवाज़ा और

राजेश रेड्डी

तुम्हारी याद

राजेन्द्र नाथ रहबर

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