दूर Poetry (page 43)

मैं अपने आप से ग़ाफ़िल न यूँ हुआ होता

हसन रिज़वी

वहशत-ए-जाँ को पयाम-ए-निगह-ए-नाज़ तो दो

हसन नईम

कू-ए-रुसवाई से उठ कर दार तक तन्हा गया

हसन नईम

बीते हुए लम्हों के जो गिरवीदा रहे हैं

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

आइनों से पहले भी रस्म-ए-ख़ुद-नुमाई थी

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

आइने से न डरो अपना सरापा देखो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

तिलिस्म-ए-आतिश-ए-ग़म आज़माने वाला हो

हसन जमील

तारीख़ की अदालत

हसन हमीदी

अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है

हसन बरेलवी

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

हुस्न जब मक़्तल की जानिब तेग़-ए-बुर्राँ ले चला

हसन बरेलवी

आईना तुम्हारे नक़्श-ए-पा का

हसन बरेलवी

कमाँ उठाओ कि हैं सामने निशाने बहुत

हसन अज़ीज़

हवा के दोश पे उड़ती हुई ख़बर तो सुनो

हसन अख्तर जलील

निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है

हसन अख्तर जलील

दिल की तरफ़ निगाह-ए-तग़ाफ़ुल रहा करे

हसन अख्तर जलील

बरसों तिरी तलब में सफ़ीना रवाँ रहा

हसन अख्तर जलील

रंग-ए-सियाह के नाम एक नज़्म

हसन अकबर कमाल

उसे शिकस्त न होने पे मान कितना था

हसन अकबर कमाल

सुब्ह आँख खुलती है एक दिन निकलता है

हसन आबिदी

पल रहे हैं कितने अंदेशे दिलों के दरमियाँ

हसन आबिदी

वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए

हसन आबिद

हुस्न-ए-मुख़्तार सही इश्क़ भी मजबूर नहीं

हसन आबिद

क्या कहिए

हारिस ख़लीक़

इश्क़ की तक़्वीम में

हारिस ख़लीक़

ज़िंदगी क्या है वफ़ा क्या है अक़ीदत क्या है

हरी मेहता

वो पेच-ओ-ख़म जहाँ की हर इक रहगुज़र में है

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

अश्कों का मिरी आँख से पैग़ाम न आए

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

तुम कभी माइल-ए-करम न हुए

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

न वो वलवले हैं दिल में न वो आलम-ए-जवानी

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

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