दूर Poetry (page 45)

सब्ज़ा बाला-ए-ज़क़न दुश्मन है ख़ल्क़ुल्लाह का

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है

हैदर अली आतिश

दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

आख़िर-ए-कार चले तीर की रफ़्तार क़दम

हैदर अली आतिश

आइना-ख़ाना करेंगे दिल-ए-नाकाम को हम

हैदर अली आतिश

पत्थर में फ़न के फूल खिला कर चला गया

हफ़ीज़ ताईब

इक दर्द सा पहलू में मचलता है सर-ए-शाम

हफ़ीज़ ताईब

अब खुल के कहो बात तो कुछ बात बनेगी

हफ़ीज़ मेरठी

लहू से अपने ज़मीं लाला-ज़ार देखते थे

हफ़ीज़ मेरठी

बज़्म-ए-तकल्लुफ़ात सजाने में रह गया

हफ़ीज़ मेरठी

ऐ दिल ख़ुशी का ज़िक्र भी करने न दे मुझे

हफ़ीज़ मेरठी

ज़ाहिद को रट लगी है शराब-ए-तुहूर की

हफ़ीज़ जौनपुरी

हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी

बहुत दूर तो कुछ नहीं घर मिरा

हफ़ीज़ जौनपुरी

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

उस को आज़ादी न मिलने का हमें मक़्दूर है

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुब्ह को आए हो निकले शाम के

हफ़ीज़ जौनपुरी

पी हम ने बहुत शराब तौबा

हफ़ीज़ जौनपुरी

मिरे ऐबों की इस्लाहें हुआ कीं बहस-ए-दुश्मन से

हफ़ीज़ जौनपुरी

जान ही जाए तो जाए दर्द-ए-दिल

हफ़ीज़ जौनपुरी

हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी

चाक-ए-दामाँ न रहा चाक-ए-गरेबाँ न रहा

हफ़ीज़ जौनपुरी

बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था

हफ़ीज़ जौनपुरी

जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा

हफ़ीज़ जालंधरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

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