दर्द Poetry (page 38)

पता कैसे चले दुनिया को क़स्र-ए-दिल के जलने का

इक़बाल साजिद

बे-ख़बर दुनिया को रहने दो ख़बर करते हो क्यूँ

इक़बाल साजिद

सरसर चली वो गर्म कि साए भी जल गए

इक़बाल मिनहास

नगर में रहते थे लेकिन घरों से दूर रहे

इक़बाल मिनहास

जब शाख़-ए-तमन्ना पे कोई फूल खिला है

इक़बाल मिनहास

उस को नग़्मों में समेटूँ तो बुका जाने है

इक़बाल मतीन

कितने ही लोग दिल तलक आ कर गुज़र गए

इक़बाल मतीन

अहल-ए-फ़न अहल-ए-अदब अहल-ए-क़लम कहते रहे

इक़बाल माहिर

सरहद-ए-जाँ तलक क़लम-रौ दिल

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

बख़्शे न गए एक को बख़्शा न कभी

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

मुज़ाहिमतों के अहद-निगार

इक़बाल कौसर

ग़ज़ल के रंग में मल्बूस हो कर

इक़बाल कैफ़ी

गुहर समझा था लेकिन संग निकला

इक़बाल कैफ़ी

पाता हूँ इज़्तिराब रुख़-ए-पुर-हिजाब में

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

जो तेरे दर्द हैं वही सब मेरे दर्द हैं

इक़बाल हैदर

बुझ गई दिल की किरन आईना-ए-जाँ टूटा

इक़बाल हैदर

आँखों से नूर दिल से ख़ुशी छीन ली गई

इक़बाल अज़ीम

जो हो सके तो कभी इतनी मेहरबानी कर

इक़बाल अासिफ़

ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की

इक़बाल अशहर

काम आ गई है गर्दिश-ए-दौराँ कभी कभी

इक़बाल आबिदी

कौन सा ग़म है मिरे दिल में जो मेहमान नहीं

इन्तेसार हुसैन आबिदी शाहिद

या वस्ल में रखिए मुझे या अपनी हवस में

इंशा अल्लाह ख़ान

मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे

इंशा अल्लाह ख़ान

जो बात तुझ से चाही है अपना मिज़ाज आज

इंशा अल्लाह ख़ान

दिल-ए-सितम-ज़दा बेताबियों ने लूट लिया

इंशा अल्लाह ख़ान

बाज़याफ़्त

इंजिला हमेश

दिसम्बर आ गया है

इंजील सहीफ़ा

शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो

इन्दिरा वर्मा

वो एक शख़्स कि बाइस मिरे ज़वाल का था

इनाम-उल-हक़ जावेद

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