नदी Poetry (page 52)

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है

अहमद मुश्ताक़

ज़ुल्फ़ देखी वो धुआँ-धार वो चेहरा देखा

अहमद मुश्ताक़

शबनम को रेत फूल को काँटा बना दिया

अहमद मुश्ताक़

रुख़्सत-ए-शब का समाँ पहले कभी देखा न था

अहमद मुश्ताक़

पता अब तक नहीं बदला हमारा

अहमद मुश्ताक़

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है

अहमद मुश्ताक़

लुभाता है अगरचे हुस्न-ए-दरिया डर रहा हूँ मैं

अहमद मुश्ताक़

दुनिया में सुराग़-ए-रह-ए-दुनिया नहीं मिलता

अहमद मुश्ताक़

दुख की चीख़ें प्यार की सरगोशियाँ रह जाएँगी

अहमद मुश्ताक़

दिलों की ओर धुआँ सा दिखाई देता है

अहमद मुश्ताक़

आज रो कर तो दिखाए कोई ऐसा रोना

अहमद मुश्ताक़

चढ़ा हुआ था वो दरिया अगर हमारे लिए

अहमद महफ़ूज़

उस से रिश्ता है अभी तक मेरा

अहमद महफ़ूज़

उधर से आए तो फिर लौट कर नहीं गए हम

अहमद महफ़ूज़

मैं बंद आँखों से कब तलक ये ग़ुबार देखूँ

अहमद महफ़ूज़

अंधेरा सा क्या था उबलता हुआ

अहमद महफ़ूज़

क़यामत से क़यामत से गुज़ारे जा रहे थे

अहमद ख़याल

दरिया में दश्त दश्त में दरिया सराब है

अहमद ख़याल

ज़िंदा रहने का तक़ाज़ा नहीं छोड़ा जाता

अहमद कामरान

बारिश का है ऐसा काल

अहमद जावेद

वो पारा हूँ मैं जो आग में हूँ वो बर्क़ हूँ जो सहाब में हूँ

अहमद हुसैन माइल

अपना साया तो मैं दरिया में बहा आया था

अहमद फ़रीद

ये जो इक सैल-ए-फ़ना है मिरे पीछे पीछे

अहमद फ़रीद

जब से इक चाँद की चाहत में सितारा हुआ हूँ

अहमद फ़रीद

वो सामने हैं मगर तिश्नगी नहीं जाती

अहमद फ़राज़

वापसी

अहमद फ़राज़

ख़्वाबों के ब्योपारी

अहमद फ़राज़

ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें

अहमद फ़राज़

उस का अपना ही करिश्मा है फ़ुसूँ है यूँ है

अहमद फ़राज़

न सह सका जब मसाफ़तों के अज़ाब सारे

अहमद फ़राज़

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