देख Poetry (page 85)

क्यूँकर न मय पियूँ मैं क़ुरआँ को देख ज़ाहिद

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

आह-ए-पेचाँ अपनी ऐसी है कि जिस के पेच को

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

म्याँ क्या हो गर अबरू-ए-ख़मदार को देखा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिलबर ये वो है जिस ने दिल को दग़ा दिया है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

हम-नफ़स ख़्वाब-ए-जुनूँ की कोई ता'बीर न देख

अब्दुल मतीन नियाज़

अपने वहम-ओ-गुमान से निकला

अब्दुल मतीन नियाज़

क्या यहाँ देखिए क्या वहाँ देखिए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर आन नई शान है हर लम्हा नया है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

बदलते मौसमों में आब-ओ-दाना भी नहीं होगा

अब्दुल मन्नान समदी

दिल अपना याद-ए-यार से बेगाना तो नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

मुद्दतों देख लिया चुप रह के

अब्दुल मजीद हैरत

गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर

अब्दुल हमीद अदम

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर

अब्दुल हमीद अदम

ज़ुल्फ़-ए-बरहम सँभाल कर चलिए

अब्दुल हमीद अदम

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

अब्दुल हमीद अदम

जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है

अब्दुल हमीद अदम

गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर

अब्दुल हमीद अदम

ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है

अब्दुल हमीद अदम

दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर

अब्दुल हमीद अदम

अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया

अब्दुल हमीद अदम

अब दो-आलम से सदा-ए-साज़ आती है मुझे

अब्दुल हमीद अदम

आता है कौन दर्द के मारों के शहर में

अब्दुल हमीद अदम

उसे देख कर अपना महबूब प्यारा बहुत याद आया

अब्दुल हमीद

मिरी मैं जश्न-ए-शब-ए-मुनव्वर

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

उस से उम्मीद-ए-वफ़ा ऐ दिल-ए-नाशाद न कर

अब्दुल अलीम आसि

घर वाले मुझे घर पर देख के ख़ुश हैं और वो क्या जानें

अब्दुल अहद साज़

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